पत्थर खुदा बन गया !
Saturday, November 13th, 2010उच्च हिम-शिखरों से हो अवतरित पर्वतांगों से खिलवाड़ कर कंकड- पत्थर को लेकर संग नदी इठलाती-बलखाती चली सागर से करने मिलन ! आपनों से टूटने धारा संग बहने का विद्रोह पत्थर का ,जल के दुलार ने भुलाया विछोह | बाल-सुलभ हठ को स्नेह-स्पर्श से बहा चली वो ! लुढ़क-लुढ़क कर वक्त की धार से जूझकर […]