स्वागतम युवराज
Tuesday, November 16th, 2010झरे फूल हर-सिंगार के बगिया ने ओढ़ ली चुनरिया आवतरित हुआ युवराज महक उठा घर-प्रांगण | नव-शिशु रुदन गूँजा भ्रमित भँवरा गुँजन भूला हर्षित हो चिड़ियाँ लगीं चहकने जुगनु जगमग लगे चमकने | पुरखों की परम्परा निभाना भाई बहनों का देना साथ सर्वदा जग में महके यूँ नाम तुम्हारा ज्यूँ ईशान में चमके ध्रुवतारा| आशीष […]