बहक गया हूँ मैं..
Tuesday, September 21st, 2010जिन्हें अपनाने का दम्भ भरते थे उनसे डरकर लौट आया हूँ मैं.. मीलों दूर हैं अब कल के निशां उन्हें पीछ छोड़ आया हूँ मैं.. वफ़ा पर बेवफ़ाई की तोहमत लगे उससे दामन झटक आया हूँ मैं.. ‘कल’ जो इक अल्फ़ाज़ बन चुका है ता उम्र उससे लड़ आया हूँ मै.. जीने को आज है […]