चुभन (first -part)
Saturday, May 2nd, 2009रजत का रवैया उखड़ा- उखड़ा सा था |शगुना अपने- आप में सिमटी, चेहरे पर जबरदस्ती मुस्कान बिखेरे , भीतर से तार-तार होती जा रही थी |रजत से कुछ पूछने का साहस वो जुटा नहीं पा रही थी व घर के बाकि लोगों से तो अभी पहचान ही कहाँ थी? छुप- छुपकर वो रो लेती थी […]