Archive for March, 2009

लौह संकल्प

Saturday, March 28th, 2009

मदनलाल काँलौनी के पार्क में बैठा अपने ही ख़्यालों में खोया हुआ था |उसे ऍसा लग रहा था, मानो उसके पास कुछ भी नहीं है |इतने बड़े संसार में वो नितांत अकेला रह गया है |उसके हम उम्र मित्र थोड़ी गप-शप मार कर अपने-अपने घरों में जा चुके थे |किन्तु आज उसके पैर नौ मन […]

रूप की गाज

Saturday, March 28th, 2009

सन सैंतालिस के दंगों से बनारस भी अछूता नहीं रहा |करीमन बीबी रोती-पीटती अपने खाविंद का ग़म मनाती, उसकी अमानत –उसकी दोनो बेटियों को लेकर आगरा में रहते रिश्तेदारों के पास जाने को निकल पड़ी |जिनकी आस में वो आगरा पहुँची, वो लोग पाकिस्तान के लिए रवाना हो चुके थे |बेचारी मजबूर औरत उन्हीं के […]

स्लम-डाँग

Thursday, March 19th, 2009

आज मैरीलैंड में एक नया स्वरूप देखने को मिला |मेरे भांजे का एक अमेरिकन दोस्त अपनी सौतेली माँ को बोला’, शी इज़ अ कनेडियन बिच ‘|बहुत तरक्की पर है अमेरिका, किन्तु संस्कारों की धरोहर के मामले में कितना ग़रीब! बाप ने दूसरी शादी की, क्योंकि घर में दो बेटे थे, उनकी माँ उन्हें छोड़कर जा […]