लौह संकल्प
Saturday, March 28th, 2009मदनलाल काँलौनी के पार्क में बैठा अपने ही ख़्यालों में खोया हुआ था |उसे ऍसा लग रहा था, मानो उसके पास कुछ भी नहीं है |इतने बड़े संसार में वो नितांत अकेला रह गया है |उसके हम उम्र मित्र थोड़ी गप-शप मार कर अपने-अपने घरों में जा चुके थे |किन्तु आज उसके पैर नौ मन […]