गज़ल
Wednesday, July 23rd, 2008मेरी साँसों में घुली यह खुशबुएं गवाह हैं, उन पलों की जब हम कदम हुए थे वे मेरे…. पशेमां हूं यारा क्यूं इस कदर बदज़न हो गए वो बेरुखी छलकती है करीब आते हैं जब वे मेरे…. ज़िदंगी इक शमा बन गई है इंतज़ारे शमा जलेगी तब तक जब तक हमदम न होंगे वे मेरे…. […]