एक यत्न
Tuesday, March 4th, 2008नित्य होता शब्दों का नृत्य ख़बरें उड़तीं, चर्चे होते मीडिया बेलगाम जपता आदम हव्वा के किस्से भौतिकता साँस लेती संवेदना लुप्त होती जाती शब्द शक्तिहीन सियाह कालिमा केवल चेहरे पर नाक नहीं हाथों में कलम छोटी हो गई अक्षरों का कद आदमकद से ऊपर उठ गया दिमागों की बत्ती गुल है लावारिस अक्षर सड़क किनारे […]