Archive for March 1st, 2008

बसंत झुलना झुलाए

Saturday, March 1st, 2008

तंगदिल हुईं सर्द हवाएं मौसम ने ली अँगड़ाई इक इक क़तरा था सहमा ज़र्रे-ज़र्रे ने तपिश पाई… लिहाफ़ से ढ़ँकी सियाही धवल हुई खोल किवाड़ नन्हे पैरों की पैंजनिया छुन-छुन आँगन का सिंगार.. अब के बसंती पवन लाई कसमसाते तन में उभार आशिकों पे बरसाती पलाश फूल के मेघ-मल्हार.. आए पीली सरसों से लहरा के […]