Archive for November 7th, 2007

टूटे लम्हे

Wednesday, November 7th, 2007

वक्त की शाख से टूट कर लम्हे गुम जाते हैं ! रिश्ते बेनाम होते हैं तो मर जाते हैं ! ठहरे हुए रिश्ते सड़कर बदबूदार हो जाते हैं ! दामन झटकाने से सड़ांध तो जाती नहीं, जिस्म के हर क़तरे के टपकते लहू से बू आती है ! अच्छा हो कि काटकर फेंक दो -उन […]