दीपों के पर्व में तुम खिलखिलाओ
Monday, November 5th, 2007दीपों के पर्व में तुम खिलखिलाओ मन के अँधेरों में भी दीप जलाओ | * गहन अंधकार में सूझे न दिशाएं ये अमावस कहाँ से घिर आई रोशनी लाओ, नूतन राह सुझाओ मन के अँधेरों में भी दीप जलाओ| * राह भूले नभ में भटकते तारे घनघोर कालिमा में नहीं रोशनीपुंज चंद्रकिरणे सहेज कर लाओ […]