पिघलती शिला
Monday, July 16th, 2007मुम्बई के सांताक्रुज हवाई-अड़्डे से बाहर निकलते ही वैभव ने चारों ओर नजर दौड़ाई|राजेश तो नहीं दिख रहा था, अलबता सामने भीड़ में हाथ हिलाते हुए ऊष्मा जरुर मुस्कुरा रही थी|राजेश की कमी का ध्यान न करते हुए वैभव की आंखें ऊष्मा को देख्कर खुशी से चमक उठीं|पास पहुंचकर उसने अर्थपूर्ण मुस्कुराहट बिखेरते हुए ऊष्मा […]