आत्मगर्भिता
Thursday, June 9th, 2005जीत की बिब्बी जोर-जोर से चीखे जा रही थी,”अरी!ओ जीतो जल्दी आ.देख सरदार जी को खांसी लगी है|भीतर से मुलहठी-मिसरी ले आ| अरी! पानी का गिलास भी लेती आइयो| नास पिट्टी सारा दिन खेल में लगी रहे है|” आगे…Aatmgarbhita-आत्मगर्भिता