मीडिया की तर्ज़ पर अर्ज़
लम्बे अरसे तक
कोई आहट न हुई
अम्नो-चैन कब था
पर घबराहट न हुई ।
बहुत शिद्दत से
लूटा जिन्होंने देश को
उन पर शक़ की
कोई गुंजाइश न हुई ।
महमूद गजनवी का
तौर-तरीका न था
लूटने का अंदाज़
अलहदा हो गया था ।
अस्मत लुटती थी
दरिंदगी सरे-आम थी
हाँ,शोरो-शराबा न था
क्यूंकि मीडिया न था ।।
वीणा विज’उदित’
5th September’18