परदेस मे दीवाली
घनघोर तिमिर अमावस का
हुआ नेह दीप से ज्योतिर्मय
स्वर्ण उल्लू वाहन लक्ष्मी का
चाँदी के मूस पर गणपति सजे |
परदेस में बसे इंडियंस के घर
दीपावली का दिखावा जमकर
मुस्काते,है अन्तर्मन व्याकुल
स्वदेस की दिवाली को मन आकुल|
चाँदी के थाल लडडुओं के सजे
खानेवाला, लेनेवाला कोई नहीं
बहुत याद आते मंदिर के पंडितजी
चौकीदार, नौकर,बाई और भिखारी |
वो पटाखों ,फुलझड़ियों की रात
आँगन में अनार , चकरियों की गूँज्
ताश की हार-जीत बैटक के बीच
भरे-पूरे परिवार में आरती की गूँज|
मंगल-करण गणपति देना वरदान
अपनी माटी अपना देश न छूटे
त्यौहारों में भाई-बन्धु हों साथ
दीप से दीप जलें,पूरी हो मन की आस!!!!
वीणा विज ‘उदित’