काव्य का उजास

हर इंसान के दिल में भावनाओं के ज्वार-भाटे उठते हैं और जब वे कोई शक्ल इख़्तियार करते हैं तो काव्य का सृजन हो जाता है। सो,प्रस्तुत हैं विश्व काव्य दिवस पर कुछ उद्गार :-

मेरी काया के हर छिद्र के भीतर से
एक ताप बाहर झाँकने को आतुर
उकसा रही है उसे उतरती धूप
स्वयं का आपा खोने को हो मुखर!
*
सन्नाटों में छटपटाता रहा मौन
हरता अन्तर्तम,काव्य का उजास
आत्मा में समाया ताप बन प्रकाश
विमुक्त दिगन्त मुखरित है प्रभास ।।

वीणा विज ‘उदित’
२२-३-१८

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