युगावतार

कार के एक्सीलेटर पर पाँव रखते ही मयंक भूल जाता था कि वो ज़मीन पर है | उसके ख्याल आसमानी रंग भरने लगते थे |वो रंगों में खो जाता था |यही सब तो चाहा था उसने |अपने पास एक बढ़िया कार हो, पाँव के नीचे आमेरिका की ज़मीन हो |हाई-वे पर स्पीडिंग मना थी, पर वो कई बार बेपरवाह हो जाता था |वो भविष्य के सपने नहींबुनता था, वो तो अतीत में गोते लगाने लगता था |स्वयं को गर्वित सिंहासन पर बैठाकर स्वयं ही प्रशंसक बन जाता था |माटी से उठकर स्वयं के बलबूते पर महल निर्मित किया था उसने |…..युगावतार Yugaavataar

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