कथा ,कहानी और काव्य का पाठ

जब भी कोई रचना आकार पाती है , तो उसके प्रभावशाली होने मे एक कमी रह जाती है। उसके लिखने के बाद की क्षति ।यदि वही रचना बोल कर सुनाई जाए तो बात के बीच के सुँदर मोड़ ध्यान आर्कषित करते हैं। केवल लिख लेने से काकु और वक्रोक्ति को नहीं परखा जा सकता । शब्दों और भावों को लिख के बयान किया जाता है, परंतु अंर्तनिहित भावनाओं की मिठास और खुमारी नहीं लिखी जा सकती ।,वृतांत सुनाने भर से उसमे जीवंतता भर जाती है।
वीणा विज उदित

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